विश्व क्रिकेट में एक से बढ़कर एक बेहतरीन खिलाड़ी रहे, जिन्होंने मुश्किलों को पार करते हुए अपना नाम कमाया. कई खिलाड़ी तो बहुत ही गरीब परिवारों से आए और उन्होंने सभी मुश्किलों को पार करते हुए टीम इंडिया में भी जगह बनाई. आज हम आपको भारतीय टीम के उस तेज गेंदबाज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी सहायता यदि ना की जाती तो आज येखिलाड़ी किसी अफ्रीकी देश में मजदूरी कर रहा होता.
हम बात कर रहे हैं भारतीय टीम के बेहतरीन तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल की. मुनाफ पटेल के पिता खेतों में काम करते थे. उनके परिवार में भोजन का भी अभाव हुआ करता था. ईद के अवसर पर ही बच्चों के परिवार के बच्चों को नए कपड़े पहनने को मिलते थे. 8 घंटे की नौकरी करने के बाद मुनाफ पटेल 35 रुपए कमाकर लाते थे. लेकिन मुनाफ पटेल ने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा.
गांव के ही जाने-माने युसूफ भाई ने मुनाफ पटेल से क्रिकेट खेलने के लिए बड़ौदा चलने का आग्रह किया. उस समय युसूफ भाई ने मुनाफ पटेल को क्रिकेट क्लब में एडमिशन करवाया और 400 रुपए के जूते खरीदकर दिए. लेकिन इससे मुनाफ पटेल के पिता नाखुश थे. वह चाहते थे कि उनका बेटा काम में हाथ बटाए.
गरीब कपास के किसानों के उस गांव में गरीबी से बाहर आने का रास्ता अफ्रिका में जाकर खत्म होता था. हर साल एक या दो युवक जाम्बिया, मौज़ैम्बिक, दक्षिण अफ्रीका अथवा जिम्बाबवे जाकर वहां कारखानों या दुकानों में काम की तलाश के लिए पहुंचते थे. उस समय कोई नहीं जानता था कि क्रिकेट खेलने के अच्छे परिणाम मिलेंगे. हालांकि मुनाफ पटेल ने मेहनत करना जारी रखा और एक दिन उन्होंने टीम इंडिया में भी जगह बनाई. आज मुनाफ पटेल किसी पहचान के मोहताज नहीं है और करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं.