भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बीसीसीआई की गतिविधियां व्यावसायिक प्रकृति की हैं और इसे दुकान कहा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ईएसआई अधिनियम केंद्र द्वारा बनाया गया कल्याणकारी कानून है, जिसके तहत इस्तेमाल किए गए शब्दों से संकीर्ण अर्थ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. यह इसके अंतर्गत आने वाली प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को उनके जीवन, स्वास्थ्य आदि से जुड़े विभिन्न जोखिमों के लिए बीमा करता है और नियोक्ता पर आरोप लगाता है.
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति टी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि न्यायालय ने बीसीसीआई को ईएसआई अधिनियम के तहत दुकान मानकर कोई गलती नहीं की है. बीसीसीआई क्रिकेट मैचों के टिकट बेचकर, मनोरंजन प्रदान कर, अपनी सेवाओं की कीमत वसूल कर और अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग से आय प्राप्त करता है और उच्च न्यायालय ने यह सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. यानी उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत दुकान कहा जा सकता है.
शीर्ष अदालत की तरफ से यह बात उन सवालों के जवाब में कही गई है जिसमें यह पूछा गया था कि क्या बीसीसीआई को 18 सितंबर 1978 की सूचना के अनुसार दुकान कहा जा सकता है और क्या ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू होंगे या नहीं. उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि बीसीसीआई को अपने हलफनामे में यह नहीं कहना चाहिए कि उसकी प्रमुख गतिविधि क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देना है और इस वजह से उसे ईएसआई अधिनियम के तहत दुकान के अर्थों के अंतर्गत नहीं लाया जाना चाहिए.