कपिल देव और सचिन तेंदुलकर से पहले एक ऐसा भारतीय बल्लेबाज था जिसने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए, जिसके लिए आज भी उसे याद रखा जाता है. 1948 में महाराष्ट्र के पुणे में एक भारतीय खिलाड़ी भाऊ साहेब बाबासाहेब निम्बलकर ने इतिहास रच दिया था. बाबासाहेब निम्बलकर को रन मशीन के रूप में जाना जाता था. उन्होंने रणजी ट्रॉफी मैचों में बहुत कमाल किया. लेकिन कभी वह भारत के लिए नहीं खेल पाए.
महाराष्ट्र और काठियावाड़ के बीच रणजी ट्रॉफी का एक मैच खेला गया था. इस मैच में काठियावाड़ की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 238 रन बनाए थे. महाराष्ट्र की टीम 81 रन पर पहला विकेट गवां चुकी थी. तब निम्बलकर बल्लेबाजी करने उतरे. पहले दिन का खेल खत्म होने तक महाराष्ट्र ने एक विकेट खोकर 132 रन बना लिए. दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक महाराष्ट्र ने 2 विकेट खोकर 587 रन बनाए.
निम्बलकर 301 रन बनाकर नाबाद पवेलियन लौटे. तीसरे दिन भी निम्बलकर ने शानदार बल्लेबाजी की और वह 400 से ज्यादा रन बनाकर क्रीज पर टिके हुए थे और डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड तोड़ने के करीब थे. निम्बलकर 443 रन बनाकर क्रीज पर थे और ब्रैडमैन का रिकॉर्ड तोड़ने से बस 9 रन दूर रह गए थे. लेकिन तभी कुछ ऐसा हो गया कि मैच को रद्द करना पड़ा.
चाय काल के दौरान सभी खिलाड़ी मैदान पर खड़े होकर चाय पी रहे थे. लेकिन तभी काठियावाड़ के कप्तान यानी राजकोट के ठाकुर बिदक गए और उन्होंने महाराष्ट्र को अपनी टीम डिक्लेयर करने को कहा. उनका कहना था कि वह बोर हो रहे हैं और अब महाराष्ट्र को अपनी टीम डिक्लेयर कर देनी चाहिए. नहीं तो वो मैच छोड़कर चले जाएंगे.
हर कोई यह बात सुनकर हैरान रह गया. उन्हें काफी समझाया गया. लेकिन वह नहीं माने और फिर काठियावाड़ के खिलाड़ी अपना सामान लेकर स्टेशन की तरफ रवाना हो गए. निम्बलकर ने उस मैच को लेकर कहा था कि मुझे उस रिकॉर्ड के बारे में तब नहीं पता था. अगर ऐसा होता तो मैं चायकाल से पहले ही रिकॉर्ड तोड़ देता. निंबलकर ने उस मुकाबले में 8 घंटे 14 मिनट बल्लेबाजी की थी और 46 चौके और एक छक्का लगाया था.