अगले महीने ऑस्ट्रेलिया में T20 वर्ल्ड कप का आयोजन होना है जिसके लिए भारतीय टीम का ऐलान भी हो चुका है. भले ही पिछले साल विश्व कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन अच्छा ना रहा हो, लेकिन जब 2007 में पहली बार टी20 विश्व कप का आयोजन हुआ था. तब भारतीय टीम चैंपियन बनी थी .उस टूर्नामेंट में पहली बार काफी कुछ देखने को मिला था. 2007 के टी20 विश्व कप में हुए मुकाबले में पहली बार बॉल आउट का नियम लागू किया गया था और यह मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था. जिसमें भारतीय टीम ने जीत हासिल की थी.
14 सितंबर 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए विश्व कप फाइनल में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को हराकर जीत हासिल की थी. यह मुकाबला आज भी लोगों को याद है. फाइनल मैच के टाई होने के बाद धोनी ने बॉल आउट के लिए जिन खिलाड़ियों का चुनाव किया था उससे सभी हैरान रह गए थे. हालांकि यह धोनी के प्लान का हिस्सा था.
एक इंटरव्यू में धोनी ने बताया था कि बॉल आउटको लेकर टीम की रणनीति पहले से ही तय थी. पहली बार वर्ल्ड कप में बॉल आउट हो रहा था. हमने तय किया कि हर प्रैक्टिस सेशन के पहले और बाद में बॉल आउट का अभ्यास करेंगे. यह फैसला किया गया था कि अभ्यास में जो भी सबसे ज्यादा हिट करेगा वहीं बॉल आउट में हिस्सा लेगा. आप गेंदबाज हैं तो यह आपका काम है, ऐसा नहीं था. हम रोज यह अभ्यास करते थे. तब हमें मालूम नहीं था पहले ही मैच में पाकिस्तान के खिलाफ हमें बॉलआउट का सामना करना होगा. तब सबने हमने पूछा था कि ऐसे खिलाड़ियों को मौका क्यों दिया गया जो प्रोपर गेंदबाज नहीं है. हमने यही कहा कि जिसने बॉलआउट का अभ्यास किया जो इसमें अच्छा है उसी को मौका मिला है.
फाइनल मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 20 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 141 रन बनाए थे. लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम भी 141 रन ही बना सकी. जिसके बाद बॉल आउट के जरिए विजेता का फैसला किया गया. भारत की ओर से हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग और रोबिन उथप्पा ने स्टंप रोहित किया. जबकि पाकिस्तान की ओर से शाहिद अफरीदी, उमर गुल और यासिर अराफात समेत तीनों खिलाड़ी अपने टारगेट से चूक गए और भारतीय टीम विजेता बनी.